➤कई बार जब मैं अपने आसपास देखता हूं या news में कई तरह की खबरे देखता हूं तो मैं बहुत निराश हो जाता हूं कि यह सब आखिर क्या हो रहा है?
(आप सोच रहे होंगे कि मैं किस बारे में कहना चाह रहा हूं ? इसलिए मैं इसे आपको एक कहानी के द्वारा समझाता हूं पर आपसे निवेदन है कि इसमें आप logic मत ढुंढियेगा क्योंकि यह कहानी सिर्फ लोगों को जागरुक करने के उद्देश्य से लिखी गई है ।)
कहानी की शुरुआत सूर्य के उदय से होती है और जब सूर्य की रोशनी आगे की और बढ़ती है तो इसके सामने स्थित कई सारे कारखाने दिखते हैं और इन कारखानों के बीच कुछ दो-तीन पेड़ दिखाई देते हैं।
जब रौशनी आसमान पर पड़ती है तो समझ आता है कि आसमान ने अपनी रंगत खो दी है।
एक नादान सा बच्चा जो अपने कमरे में सो रहा होता है, सपने में देखता है कि वह सुंदर और हरे भरे पेड़-पौधौं के बीच अपने दोस्तों के साथ नदी के किनारे नील आकाश के नीचे खेल रहा है और उसके चारों ओर हरे- हरे पेड़ खिला रहे हैं। तभी अचानक! वह खाँसने लगता है और वह अपनी बायीं तरफ खिड़की में देखता है सुर उदय हो चुका है और उसका कमरा कुछ अनचाहे धूएँ से भरा हुआ है ।
लोग बाहर अपने-अपने सुबह के काम करते हैं जैसे लोग अपने बाल्टीयों में टैंको से आया हुआ पानी भरते हैं जो हफ्ते में तीन से चार दिनों के लिए आता है क्योंकि आसपास के जितने भी नदी थें वह कारखानों के रासायनिक कचरों के कारण और लोगों के अतिक्रमण के कारण खत्म होती जा रही थी, पर लोगों को अभी इससे कोई खास फर्क नहीं पड़ रहा था। जैसे जैसे समय बीतता जा रहा था सुर्य की तपिश और बढ़ती जा रही थी और यह सब कुछ global warming के कारण हो रहा था। नदी सुख रही थी और लोग उसपर अपने-अपने घर बनाते जा रहे थें (क्योंकि जनसंख्या तो बढ़ रही थी न और जनसंख्या बढ़ेगी तो लोगों को रहने के लिए जगह और घर चाहिए और घर के लिए लकड़ी, तो कुछ कुछ ज्ञानियों ने इसका समाधान निकालना शुरु कर दिया। वो कैसे? नदी को सुखा कर। और कमाल की बात यह तो यह है कि वैज्ञानिकों को भी ये नहीं पता, पर हमारे कुछ महाज्ञानियों ने यह कर दिखाया। अब इसकी सजा तो मिलनी ही थी तो यह जानने के लिए आगे पढ़िए।)
उन दिनों सरकार को developement का भूत चढ़ा था। सरकार ने Mall, factory, bullet train और भी कई सारे इरादों से बहुत बड़ी संख्या में पेड़ कटवाने का आदेश दिया।
आखिर वो दिन आ ही गया जब लोगों की हालत बहोत बुरी हो गई। global warming बहोत ज्यादा बढ़ गया था, पानी का टैंकर हफ्ते में सिर्फ एक बार आने लगा। तब लोगों को समझ में आया कि उन्होंने क्या गलती की है? पर अब बहुत देर हो चुकी थी।
Earth को सेटेलाइट से दिखने पर भूरे रंग की दिखाई पड़ती थी जो कभी हरी और नीली दिखाई पड़ती थी।
वह दिन आ ही गया जब सूर्य पृथ्वी के बहुत निकट आ गया और वह लोगों को जमीन पर घसीटते हुए अपनी ओर खींच रहा था। लोग उस से छूटने का बहुत प्रयास कर रहे थे पर वे असफल रहें। कुछ समय पश्चात उनमें से कुछ लोग पहाड़ की चोटी पर पहुंचें जहाँ कभी जंगल हुआ करता था पर अब वहां कोई पेड़ मौजूद नहीं था सिवाय इस को छोड़कर जो पहाड़ के आखिरी छोड़ पर था।
लोग अपने आपको बंधन से मुक्त करवाने के लिए घास को पकड़ रहे थें, पर वह उनका weight संभालने में असमर्थ था। जैसे ही वह सभी उस पेड़ के पास पहुंचते हैं, वह पेड़ अचानक उन्हें अपनी मजबूत शाखाओं से पकड़ लेती है और वह फिर अचानक सोचती है कि "मैं इनकी मदद क्यों कर रही हूं इन्होंने तो सारे पेड़ कटवा दिए, नदियों को सुखा दिया और तो और हवा को भी प्रदूषित कर दिया है।"
जैसे ही वह उन्हें छोड़ने जा रही थी तभी उसने बहुत सारे बच्चों को देखा, वह सोचनें लगी कि इन सबमें इन अबोध बालकों का क्या दोष है?,यह तो सिर्फ वही कर रहैं हैं जो इन्हें सिखाया जा रहा है। मैं प्रकृति हूं और मेरी इंसान की तरह सोच नहीं है। सभी के पास से अधिकार है कि वे मुझे इस्तमाल करें। भले ही वह मेरी कद्र ना करें पर मुझे अपना कर्म निभाना है। वे अपनी सोच के आधार पर कार्य कर रहे हैं और मैं अपनी सोच के आधार पर।
तब उस पेड़ नें सबकी जान बचाई और उसने सूर्य से कहा कि "अब इंसान ऐसी गलती दोबारा नहीं करेंगे, मैं इसकी गारंटी लेती हूं।"
तब सभी लोगों ने अपनी गलती स्वीकार की और सभी लोगों ने उन सभी लोगों से माफी मांगी जिनको उन्होंने कष्ट पहुंचाया था और उन्होंने वादा किया कि "वे पेड़ पौधों का दुरुपयोग, पानी का दुरुपयोग और प्रदूषण को खत्म करेंगे।"
तब लोगों ने नदी पर अतिक्रमण करने और उसमें कचरा फेकनें पर सख्त से सख़्त कानून बनाया तथा water harvesting तकनीक के जरिए पीने के पानी के लिए एक बेहतर तकनीक इजात कि जिससे पानी की बचत हो। इसी के साथ ही साथ उन्होंने पेड़-पौधों को ज्यादा से ज्यादा मात्रा में लगाने की एक बहुत बड़ी मुहीम चलाई,जिसमें बच्चे,बूढ़े और नौजवान सभी तरह के लोग शामिल थें।
⧫“ तो इस story से हमें पता चलता है कि हमें अपने Nature के प्रति कैसी जिम्मेदारी निभानी चाहिए और यह भी की Nature की सोच हम इंसानों से कितनी अलग है।
तो आपको यह कहानी कैसी लगी?अपनी राय comment में जरूर दें। ”
Right
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